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इस बार का बजट कुछ खास होने जा रहा है क्योंकि यह दो हज़ार चौबिस के आम चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट होगा ऐसे में हर वर्ग की तरह मध्यम वर्ग को भी इस बजट से ढेरों उम्मीदें है वित्त मंत्री भी संकेत दे चुकी है कि मध्यम वर्ग पर बजट में किसी तरह का बोझ नहीं बढ़ाया जाएगा तो इस बार टैक्स के बोझ से राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठा है
सरकार की तरफ से आखिरी बार 2014 में आयकर छूट की सीमा को बढ़ाया गया था ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि 2023-2024 के लिए सरकार इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान कर सकती है अनुमान है कि आयकर छूट की लिमिट को 2 लाख 50 हजार से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जा सकता है हालांकि वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर आखिरी फैसला पीएमओ को करना होगा कारोबारी जगत का भी मानना है कि मध्य वर्ग को टैक्स की राहत दिए जाने से देश की अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा फायदा होगा हालांकि अगर यह छूट नई टैक्स व्यवस्था में की जाती है तो फिर ज्यादातर टैक्सपेयर्स को इससे कोई खास फायदा नहीं होगाइसके साथ ही एक डिमांड यह भी है कि अस्सी सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को डेढ़ लाख से बढ़ाकर कम से कम दो लाख तो किया जाए इसके अलावा अधिकतम टैक्स स्लैब को सरचार्ज और सेस वगैरा मिलाकर 42.74 फीसदी बैठता है उसे भी घटाने की मांग की
सैलरीड क्लास ने सरकार से मांग है कि 80 C की छूट को 1 लाख 50 हजार से 2 लाख 50 हजार कर दिया जाए
स्टेन्डर्ड डिडक्शन को 50 हजार से 1 लाख कर दिया जाए और 5 लाख तक कि आय पर कोई टैक्स ना लिया जाए क्योकि टैक्स स्लैब में बदलाव वित्तवर्ष 1997-98 से नही हुआ है।
MSME सेक्टर की शिकायत है कि उसे क्रेडिट सस्ती ब्याज दरों पर नही मिल रहा है जबकि Msme हमारी GDP का 30% देता है ।
जानकारों का भी मानना है कि सरकार को टैक्स के मोर्चे पर लोगों को राहत देने की जरूरत है देखना यह है कि क्या बजट में वित्त मंत्री वाकई मध्यम वर्ग को किसी तरह की राहत देने का ऐलान करती है या नहीं।
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